‘जल ही जीवन है’
अब्दुर रहीमन साहिब ने क्या खूब कहा है- रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥ इस दोहे में रहीम साहिब ने पानी के महत्व के बारे में बताया है। रहीम दास जी के इस दोहे का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है जब पानी शुद्ध और मिनरल्स से भरा हुआ हो. हम सब जानते है कि हमारे शारीर में 60 से 70 % पानी है यानी कि हमारे शारीर के प्रत्येक अंग में पानी ही पानी है|
यहाँ तक कि हड्डियों में भी. पानी के बिना 7 दिन से अधिक जीवित नहीं रहा जा सकता है. पानी की मदद से शारीर से जहरीले पदार्थ को बहार निकाल दिया जाता है पसीने के रूप में या फिर पेशाब के रूप में. इसी वजह से पानी हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है. परन्तु पानी पीने के साथ साथ जरुरी है यह ध्यान रखना कि आप कैसा पानी पी रहे है, क्या पानी स्वच्छ और शुद्ध है. RO वाटर प्यूरीफायर क्या है? आरओ या यूवी का पानी शुद्ध और पीने लायक माना जाता है परन्तु क्या ये नुक्सान भी पहुचाता है? आइये जानते है कि कैसा पानी पीने युक्त होता है| और कैसा पानी हमे पीना चाइये जो हुए स्वस्थ रखने में हमारी मदद करे | उसमें टीडीएस की मात्रा कितनी होनी चाहिए, इससे क्या लाभ होता है और यह कितना नुकसान देता है? आजकल महानगरों का पानी बहुत दूषित हो गया है पीने लायक नहीं है। जिसको बिना फिल्टर किये पीने से कई प्रकार की बीमारियाँ हो रही है। आप जानते हैं कि पानी का टीडीएस आमतौर पर 300 से अधिक रहता है। ऐसे में स्वस्थ रहने (बीमारियों से बचने) के लिए शुद्ध पानी (R.O वॉटर) ही एक बेहतर विकल्प है, हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि आरओ (R.O)से निकला बेहद कम टीडीएस का पानी पीने से भी बीमारियां हो सकती हैं। डॉक्टरों के अनुसार, पीने के पानी में टीडीएस की मात्रा 75 से कम नहीं होनी चाहिए। इससे कम टीडीएस वाला पानी पीने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और शरीर को जरूरी मिनरल्स नहीं मिल पाते हैं। वहीं, 150 से ज्यादा टीडीएस वाला पानी पीने से बीमारियां हो सकती हैं। इससे सबसे ज्यादा पथरी होने का आशंका रहती है। ज्यादा टीडीएस वाला पानी पीने से जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं। ज्यादा टीडीएस वाला पानी या कम टीडीएस वाला पानी पीने से बीपी, ब्लड प्रेशर, हीमॉग्लोबिन आदि की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।RO वाटर प्यूरीफायर क्या है?
इसका फुल फॉर्म Reverse Osmosis होता है। यह पानी को शुद्ध करने का सबसे अच्छा तरीका है। इस तकनीक से पानी के भीतर की सभी अशुद्धियां, मेटल (धातु) पार्टिकल, बालू के कण, टीडीएस (Total dissolved solids) साफ़ हो जाती है। RO वाटर प्यूरीफायर तकनीक पानी की सभी अशुद्धियां धातु और नुकसानदायक पदार्थों को साफ कर देती है यह बैक्टीरिया और वायरस को भी नष्ट कर देती है।आर्सेनिक और क्लोरीन जैसे हानिकारक पदार्थों को साफ कर देती है।
कौनसा वाटर प्यूरीफायर का पानी आपके लिए सही है?
आजकल बाजार में RO+UV+UF+TDS तकनीक वाले वाटर प्यूरीफायर आ रहे हैं जिसमें तीनो प्रकार के फिल्टर हो जाते हैं और सभी तरह की अशुद्धियों दूर हो जाती हैं। इसलिए आपको ऐसा वॉटर प्यूरीफायर का पानी मिले तो जरूर लेना चाहिए जिसमे RO+UV+UF+TDS वाली सुविधाएं दी हो।
कुछ कम्पनियाँ एक मिश्रित मशीन बनाती हैं जिसमें आरओ के साथ-साथ यूएफ या यूवी के गुण भी होते हैं। पानी की भारी मात्रा से घुले ठोस पदार्थों को निकालने के लिये आरओ का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा सूक्ष्म जीवाणुओं को मारने के लिये यूएफ या यूवी का इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों प्रणालियों के मिश्रण से घुले ठोस पदार्थों का निम्न स्तर बनाए रखा जा सकता है। इन दोनों के अनुपात को नियंत्रित किया जा सकता है। टीडीएस क्या है? पीने के पानी का टीडीएस कितना होना चाहिए | पानी पीने से पहले ये जानना बहुत जरुरी होता है कि हम किस तरह का पानी पी रहे हैं। क्या वो पानी शुद्ध है या उसे पीकर हमारे शरीर को नुकसान पहुँच रहा है? ऐसे में क्यों ना आज, इसी बारे में बात करें ताकि हमें पीने के पानी के बारे में एकदम सही और सुरक्षित जानकारी मिल सके और इसके लिए हमें पानी का टीडीएस कितना होना चाहिए ये जानना होगा।टीडीएस क्या है?
टीडीएस का उपयोग पानी की शुद्धता को जांचने के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से पता लगाया जाता है कि पानी शुद्ध है या नहीं और पीने योग्य है या नहीं
। टीडीएस को एमजी प्रति इकाई मात्रा (मिलीग्राम/लीटर) की यूनिट्स में लिखा जाता है या इसे Parts Per Miillion (PPM) के रूप में भी व्यक्त किया जाता है। टीडीएस पानी में घुले हूए सभी कार्बनिक और अकार्बनिक ठोस पदार्थों का माप है। पानी में अकार्बनिक पदार्थ जैसे कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम, सोडियम, क्लोराइड और सल्फेट्स आदि पाए जाते हैं| और कुछ मात्रा में कार्बनिक पदार्थ भी होते हैं। पानी में इन खनिजों की एक निश्चित मात्रा तक उपस्थिति स्वास्थ के लिए आवश्यक है। लेकिन एक स्तर से अधिक ये नुकसान देय है।पीने के पानी का टीडीएस कितना होना चाहिए?
पानी पीने से पहले ये जानना बहुत जरुरी होता है कि हम किस तरह का पानी पी रहे हैं। क्या वो पानी शुद्ध है या उसे पीकर हमारे शरीर को नुकसान पहुँच रहा है?
डॉक्टरों के अनुसार, पीने के पानी में टीडीएस की मात्रा 75 से कम नहीं होनी चाहिए और 150 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए| WHO & BIS (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) के मुताबिक 100 से 150 टीडीएस के पानी को पीने के लिए सही बताया गया है। पीएच स्तर: 6.5-7.5 लेकिन वर्तमान में आरओ से फिल्टर्ड पानी में 18 से 25 पीपीएमएम टीडीएस मिल रहा है जो काफी कम है। यह शरीर के लिए ठीक नहीं नुकसानदेह है ।